कुछेक दिन पहले अखबार में पढ़ा की सिब्बल साब फेसबुक सरीखी साइट्स की दीवार (wall) पर अनाप-शनाप लिखे जाने पर रोक लगाना चाहते हैं. हमने कहा भाई रहने दो, अभी तो छोकरे उधर ही लिख रहे हैं, बंद कर दिया तो कल को घरों की दीवारों पर, स्कूल की दीवारों पर, लालकिले की दीवारों पर, ताजमहल की दीवारों पर और यहाँ तक की संसद की दीवारों पर भी लिख सकते हैं. किस-किस को कहाँ-कहाँ रोकोगे. और फिर कहते हैं न "जो चुप रहेगी ज़ुबाने खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीन का". तो भाई बोलने दो इन्हें ताकि आस्तीन का लहू न पुकारे वरना कहीं पवार साब की तरह हर सांसद "Why This Kolaveri Di" न गाता फिर रहा हो.
Ka Kehet Ho Bhaiya!
Wednesday 7 December, 2011
Friday 14 October, 2011
ख़त की करामात
अन्ना का ख़त
बाबा का ख़त
जवाब में दिग्गी का ख़त
और फिर प्रधानमंत्री का ख़त
भाई इसी बदौलत भारतीय डाक विभाग को फिर से रोज़गार मिल गया वर्ना SMS और EMAIL ने तो उनका धन्दा ही चौपट कर दिया था :-D
जय हो अन्ना जी की !
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